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Sumitranandan Pant Jayanti 2025

“जननी के तुल्य तू, ममता की धारा
गँगा! तू ही तो है, भारत की कारा।”

आज महाकवि सुमित्रानंदन पंत जी की जयंती पर स्मरण करते हैं उस महान कवि को, जिनकी कलम ने गँगा को मात्र एक नदी नहीं, बल्कि संस्कृति, करुणा और जीवन की धारा के रूप में देखा।

गँगा
जीवन-जल की धार,
पावन पुण्य अपार।
स्नेह-सिक्त सदा,
बहती जाती पार।

आज जब गँगा अपने नए रूप में पुनः बह रही है, आइए, पंत जी की संवेदना को अपनी चेतना बनाएँ।

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