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विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

विजयादशमी, जिसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय, सत्य की असत्य पर जीत, और धर्म की अधर्म पर प्राप्ति का प्रतीक है। दशहरे का यह महोत्सव हमें प्रभु श्री राम के आदर्शों और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश देता है।

विजयादशमी की कथा रामायण से जुड़ी है, जहां भगवान श्री राम ने दस सिर वाले राक्षस राजा रावण का वध कर अधर्म का अंत किया और धर्म की स्थापना की। यह घटना केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि हमें अपने जीवन में भी प्रेरित करती है कि हम अपने भीतर की बुराइयों, जैसे क्रोध, अहंकार, लोभ, और ईर्ष्या का नाश करें और धर्म और मानवता के मार्ग पर आगे बढ़ें।

विजयादशमी का यह पर्व हमें यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी सत्य और न्याय का मार्ग कभी नहीं छोड़ना चाहिए। भगवान श्री राम ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने सदैव धर्म, सत्य और न्याय का पालन किया। यह पर्व हमें अपने जीवन में इन्हीं आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा देता है।

प्रभु श्री राम के आदर्शों का अनुसरण करने से हम जीवन में सफलता, शांति और सद्गुणों की प्राप्ति कर सकते हैं। विजयादशमी के दिन, रावण के पुतले का दहन केवल एक प्रतीकात्मक क्रिया नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर की बुरी भावनाओं को समाप्त करने का संकेत भी है। जैसे रावण का अंत हुआ, वैसे ही हमें भी अपने अंदर की नकारात्मकता, दुर्गुणों, और असत्य का अंत करना चाहिए।

इस शुभ अवसर पर हम सभी से यह प्रार्थना करते हैं कि वे अपने जीवन में सच्चाई, सदाचार और न्याय को अपनाएं। विजयादशमी का यह पर्व हमें न केवल धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा देता है, बल्कि यह हमें समाज और मानवता के कल्याण के लिए भी जागरूक करता है।

आज के दिन, हम सब यह संकल्प लें कि हम अपने जीवन में धर्म, सत्य, और सेवा के मार्ग पर चलेंगे और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए समाज को एक बेहतर स्थान बनाएंगे।

प्रभु श्री राम सभी का कल्याण करें और हमें सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने की शक्ति प्रदान करें।

विजयादशमी के इस पावन अवसर पर सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।
जय श्री राम!

धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो!

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